बस इतनी ही कहानी थी मेरी
एक लड़की थी जो बगल में बैठी थी , कुछ डॉक्टर थे जो
अभी भी इस उम्मीद में थे की शायद ये मुर्दा फिर जग पड़े.
एक दोस्त था, जो पागल था ,
एक और लड़की थी जिसने अपना
सब कुछ हार दिया था मुझपे ,
मेरी माँ थी , बाप था
बनारस की गलियां थी और
ये एक हमारा शरीर था जो हमें छोड़ चुका था
और ये एक हमारा सीना जिसमे अभी भी आग बाकी थी
हम उठ सकते थे , पर किसके लिए ?
हम चीख सकते थे , पर किसके लिए ?
मेरा प्यार जोया , बनारस की गालिया ,
बिंदिया , मुरारी , सब मुझसे छूट रहा था,
पर रख भी किसके लिए लेते
मेरे सीने की आग या तो मुझे जिन्दा कर सकती थी या
फिर मुझे मार सकती थी
पर साला अब उठे कौन ?
कौन फिर से मेहनत करे दिल लगाने को
दिल तुड़वाने को
अबे कोई तो आवाज़ दे के रोक लो
ये लड़की जो मुर्दा सी आंखे लिए बैठी है बगल में,
आज भी हां बोल दे तो महादेव की कसम वापस आ जाये
पर नहीं अब साला मूड नहीं है आंखे मूंद लेने में ही सुख है,
सो जाने में ही भलाई है
पर उठेंगे किसी रोज उसी गंगा किनारे डमरू बजाने को
उन्ही बनारस की गलियों में दौड़ जाने को,
किसी जोया के इश्क़ में फिर से पड़ जाने को
#Raanjhaaa Bollywood Romantic Drama Film
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